Chhod Akela Phir Jao

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इन कहानियों में अपमान है, भेदभाव भी है, पर हर नायिका की एक ख़ास बात है कि वह कभी हार नहीं मानेगी, हथियार नहीं डालेगी।

हर नायिका की अपनी आवाज़ है, चाहे धीमी हो या तेज़। और साथ ही एक जिजीविषा, कि चाहे जो हो जाये, आवाज़ दबने न पाए।

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इतने सालों में हिंदुस्तानी औरत की ज़िन्दगी में कुछ ख़ास नहीं बदला है। 

हाँ, उच्च शिक्षा, बराबरी की परवरिश ज़रूर मिली है, लेकिन घर हो या कार्यक्षेत्र, अपमान, कमतर आंका जाना और दुर्व्यवहार हर औरत के हिस्से बंधे हुए हैं, मानो वह इन्हें अपने कर्मों में लिखा के ही लाती है।

ये कैसी चेतना है जो औरत के अधिकारों के लिए जब तक छीना झपटी न करनी पड़े, जागृत ही नहीं होती? ये कैसा दोगलापन?

इन कहानियों में अपमान है, भेदभाव भी है, पर हर नायिका की एक ख़ास बात है कि वह कभी हार नहीं मानेगी, हथियार नहीं डालेगी। हर नायिका की अपनी आवाज़ है, चाहे धीमी हो या तेज़। और साथ ही एक जिजीविषा, कि चाहे जो हो जाये, आवाज़ दबने न पाए।

About The Author : 

उर्मि दर्शन राठोड उर्मि रूमी" पुणे की निवासी हैं, लेकिन आत्मा मूल निवास स्थान भोपाल में ही बसती है।विज्ञापन में स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से प्राप्त की, और यूनिवर्सिटी टॉपर रहीं।जड़ें भोपाल के रेडियो से निकली हैं, जहाँ 94.3 माय एफ़ एम में रेडियो जॉकी रही,  तथा आकाशवाणी पर कविता पाठ आदि करती थी।पिछले 12 साल से सक्रिय रूप से लिख रही हैं।कवितायेँ, कहानियां खुद के लिए; और मार्केटिंग कंटेंट राइटिंग क्लाइंट्स के लिए करते करते, ईबुक्स और आर्टिकल्स / ब्लॉग्स लिखते हुए कंटेंट कंसल्टेंसी तथा 

फिर खुद के पॉडकास्ट तथा किंडल किताब तक पहुंची हैं।विभिन्न कॉलेजों में कुछ वर्ष विजिटिंग फैकल्टी के रूप में मास कम्युनिकेशन तथा एडवरटाइजिंग विषय पढ़ाएं - यही उनके एम बी ए के भी विषय थे।एक पुत्री की माँ हैं और एक श्वान की भी।

Features

PublisherSakal Prakashan
AuthorUrmi Rumi
LanguageHindi
ISBN978-93-89834-78-9
BindingPaperback
Pages120
Publication Year2022
Author Infoउर्मि दर्शन राठोड “उर्मि रूमी" पुणे की निवासी है। पिछले 12 साल से सक्रिय रूप से लिख रही हैं। कवितायेँ, कहानियां तथा किताब लिख रही हैं।
Dimensions5.5 x 8.5

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इन कहानियों में अपमान है, भेदभाव भी है, पर हर नायिका की एक ख़ास बात है कि वह कभी हार नहीं मानेगी, हथियार नहीं डालेगी।

हर नायिका की अपनी आवाज़ है, चाहे धीमी हो या तेज़। और साथ ही एक जिजीविषा, कि चाहे जो हो जाये, आवाज़ दबने न पाए।