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अयोध्या एवं राम जन्मभूमि बीते 40 वर्षों से हमारे सामाजिक जीवन के केंद्र में रही है। भारत के सामाजिक जीवन एवं राजनीति पर इसके दूरगामी परिणाम देखे गए हैं। उसकी विस्तृत जानकारी देती माधव भंडारी की यह हिंदी किताब- अयोध्या!
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Ayodhya (Hardback)
अयोध्या एवं राम जन्मभूमि बीते 40 वर्षों से हमारे सामाजिक जीवन के केंद्र में रही है। भारत के सामाजिक जीवन एवं राजनीति पर इसके दूरगामी परिणाम देखे गए हैं। उसकी विस्तृत जानकारी देती माधव भंडारी की यह हिंदी किताब- अयोध्या!
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अयोध्या एवं राम जन्मभूमि बीते 40 वर्षों से हमारे सामाजिक जीवन के केंद्र में रही है। भारत के सामाजिक जीवन एवं राजनीति पर इसके दूरगामी परिणाम देखे गए हैं। उसकी विस्तृत जानकारी देती माधव भंडारी की यह हिंदी किताब- अयोध्या!
* राम जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए वर्ष 1986 से विश्व हिंदू परिषद ने आंदोलन प्रारंभ किया था। लगभग 33 सालों तक चले इस आंदोलन के माधव भंडारी सक्रिय कार्यकर्ता रहे थे, उन्होंने बड़े शोधपरक तरीके से इस किताब को लिखा है।
* बीते चालीस सालों के बदलाव देखें तो वे भी बहुत ऐतिहासिक हैं। इन चार दशकों में देश के राजनैतिक-सामाजिक जीवन में कई मौलिक परिवर्तन हुए हैं। इन सारे बदलावों में सरयू और अयोध्या की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसका अपना इतिहास है और इस इतिहास की चर्चा आने वाले कई शतकों तक होती रहेगी। इस इतिहास को सबूतों के साथ रखा गया है।
* खासकर वर्ष 1986 के बाद के घटनाक्रमों के मद्देनज़र; राम जन्मभूमि के अस्तित्व की ऐतिहासिक चर्चा, राम जन्मभूमि के संदर्भ में न्यायालयीन विवाद एवं उन विवादों से उपजी परिस्थिति तथा अंततः राजनीतिक चर्चाओं की सरगर्मियों के सारे पहलुओं को समेटते हुए इस किताब को लिखा गया है।
* अयोध्या की पौराणिक, ऐतिहासिक जानकारी देने के साथ ही राम जन्मभूमि से जुड़े सभी मुद्दों पर इस किताब में प्रकाश डाला गया है।
* अयोध्या के लिए संघर्ष कब से प्रारंभ हुआ, पाँच शतकों में उसमें कितने बदलाव देखे गए, उन तमाम संघर्षों का विस्तार कितना था, इसका विश्लेषण इसमें किया गया है।
* अयोध्या की ऐतिहासिक विरासत, सामाजिक एवं राजनैतिक संदर्भ किताब में होने से शोधार्थियों, छात्रों के साथ आम पाठकों के लिए भी यह किताब जानकारियों के खजाने की तरह है।
लेखक के बारे में :
महाराष्ट्र के राजनैतिक, सामाजिक जीवन का जाना-पहचाना नाम! केवल भाजपा के नेता के रूप में ही नहीं बल्कि अध्ययनशील-मननशील और संवेदनशील सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में माधव भंडारी को पूरा महाराष्ट्र जानता है। आपातकाल के दौरान ‘साप्ताहिक विवेक’ में पत्रकारिता, इसके अलावा ‘१४ गारिबाल्डी स्ट्रीट’, ‘प्रतिमा आणि वास्तव’ (पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यों का कच्चा-चिट्ठा), ‘डाव्यांची ढोंगबाजी’ जैसी कई किताबों के लेखक। इन किताबों के माध्यम से माधव भंडारी के भीतर छिपे खोजी पत्रकार और जागरुक शोधार्थी के दर्शन होते हैं। यह किताब अयोध्या उनके गहन अध्ययन की परिचायक है।
Publisher | Sakal Prakashan |
Author | Madhav Bhandari |
Language | Hindi |
ISBN | 9789395139649 |
Binding | Hardcover + Jacket |
Pages | 496 |
Publication Year | 2022 |
Dimensions | 5.5 x 8.5 |