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Bina Prayas Wajan Ghatayen Aur Madhumeh Roke
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हमारा भारत देश मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, और स्टूडेका जैसी चप असंक्रामक बीमारियों की राजधानी बनता जा रहा है। मोटापा स्वयं में एक बीमारी है. इस के साथ ही यह उपरोक्त बीमारियों में खाली कर कारण बन सकता है। हमे मोटा बनाने में इन्शुलीन की महत्वपूर्ण भूमिका है। कार्बोहाईड्रेटयुक्त आहार का सेवन बार बार करने से खून में इन्शुलीन की मात्रा बह जाती है। इन्शुलीन का यह बया हुआ स्तर उपरोल्लेखित बीमारियों का कारण बनता है।
कुछ लोगों के लिए दूसरों का वजन घटाना यह एक धंधा बन बैठा है। दुर्भाग्य की बात है, की बहुत सारे मामलों में देखा गया है, की इससे वजन तो टस से मस नहीं होता, लेकिन पैसा जरूर घटता है। इसके परिणाम स्वरूप लोग निराश हो जाते हैं। इस किताब में समर्थन किया गया वजन घटाने का तरीका सरल और बिना किसरी खर्चे के कारीगर साबित होता है। आपको किसी डॉक्टर की सलाह नहीं लेनी पड़ती या कोई महंगे उपकरण, विशिष्ट पोषणद्रव्य या गॅजेट्स भी खरीदने नहीं पड़ते। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है की कोई भी इस तरीके का उपयोग बिना किसी तकलीफ से पूरी शिवणी भर कर सकता है।
खून में इन्शुलीन का स्तर घटाने वाले इस तरीके से वजन तो घटता ही है, उसके साथ ही उपरोल्लेखित खतरनाक बीमारी (मधुमेह) की रोकथाम होती है, या कम से कम उस के शुरू होने का अंतराल बढ सकता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य की दृष्टि से यह तरीका बहुत ही अनमोल है।
स्वर्गीय डॉ. जिचकार जी ने इस सरल तरीके का प्रचार उनके व्याख्यानों के माध्यम से केवल महाराष्ट्र में ही नहीं, पर पूरे भारत वर्ष में करने की पुरजोर कोशिश की। डॉ. जिचकार जी द्वारा जलाए गये इस दिये की रोशनी पूरे विश्व में फैलाने के लिए डॉ. जगनाथ दीक्षित जी प्रयास कर रहे है। यह आंदोलन 'मोटापा और मधुमेह मुक्त विश्व' के रूप में तेजी से फैल रहा है।
Publisher | Sakal Prakashan |
Author | Dr. Jagannath Dixit |
Language | Hindi |
ISBN | 9789389834116 |
Binding | Paperback |
Pages | 144 |
Publication Year | March 2020 |
Dimensions | 5.5 x 8.5 |